Tuesday, 26 June 2018

protocol

What is Protocol

प्रोटोकॉल नियमो का समूह होता है, जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जोड़ने एवं उनके बीच में सूचना के आदान प्रदान के लिए बनाया गया है | प्रोटोकॉल नेटवर्क से जुड़े डिवाइस के बीच में डाटा का स्थान्तरण नियंत्रित करता है, यदि समस्या आती है तब error मेसेज दर्शाता है साथ ही स्थान्तरण की प्रक्रिया के अनुसार डाटा को संभालता है | एक डिवाइस से डाटा कैसे जाना चाहिए तथा दूसरे डिवाइस को डाटा कैसे प्राप्त करना है, यह प्रोटोकॉल निश्चित करता है |इंटरनेट पर सुचारू रूप से कार्य करने के लिये विभिन्न तकनीक की आवश्यकता होती है। इनमे से वेब प्रोटोकाॅल मुख्य भाग है। इंटरनेट को सुचारू व सफल बनाने मे वेब प्रोटोकाॅल का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इंटरनेट पर विभिन्न प्रोटोकाॅल का प्रयोग होता है अतः इन्हे वेब प्रोटोकाॅल कहा जाता है।
Types of Protocols-

types of virus

कम्प्यूटर वायरस के प्रकार( Types of Computer Virus)

  • बूट सेक्टर वायरस (Boot Sector Virus) – इस प्रकार के वायरस फ्लापी तथा हार्डडिस्क के बूट सेक्टर में संगृहीत होते है| जब कम्प्यूटर को प्रारम्भ करते है तब यह आपरेटिंग सिस्टम को लोड होने में बाधा डालते है और यदि किसी तरह आपरेटिंग सिस्टम कार्य करने लगता है तब यह कम्प्यूटर के दुसरे संयंत्रो को बाधित करने लगते है|
  • पार्टीशन टेबल वायरस (Partition Table Virus) – इस प्रकार के वायरस हार्ड डिस्क के विभाजन तालिका को नुकसान पहुचाते है| इनसे कम्प्यूटर के डाटा को कोई डर नही होता| यह हार्डडिस्क के मास्टर बूट रिकार्ड को प्रभावित करता है तथा निम्नलिखित परिणाम होते है|
  1. यह मास्टर बूट रिकार्ड के उच्च प्राथमिकता वाले स्थान पर अपने आप को क्रियान्वित करते है|
  2. यह रैम की क्षमता को कम कर देते है|
  3. यह डिस्क के इनपुट/आउटपुट नियंत्रक प्रोग्राम में त्रुटी उत्पन्न करते है|
  • फ़ाइल वायरस (File Virus) – यह वायरस कंप्यूटर की Files को नुकसान पहुचता है यह .exe फ़ाइल को नुक्सान पहुचता हैं इन्हें फाइल वायरस कहा जाता हैं|
  • गुप्त वायरस (Stealth Virus) – गुप्त वायरस अपने नाम के अनुसार कम्प्यूटर में User से अपनी पहचान छिपाने का हर संभव प्रयास करते है| इन्हें गुप्त वायरस कहा जाता हैं|
  • पॉलिमार्फिक वायरस (Polymorphic Virus) – यह वायरस अपने आप को बार – बार बदलने की क्षमता रखता है ताकि प्रत्येक संक्रमण वास्तविक संक्रमण से बिल्कुल अलग दिखे | ऐसे वायरस को रोकना अत्यंत कठिन होता है क्योकि प्रत्येक बार ये बिल्कुल अलग होता है |
  • मैक्रो वायरस (Macro Virus) – मैक्रो वायरस विशेष रूप से कुछ विशेष प्रकार के फ़ाइल जैसे डाक्यूमेंट, स्प्रेडशीट इत्यादि को क्षतिग्रस्त करने के लिए होते है | ये वायरस केवल Micro Software Office की फाइलों को नुकसान पहुचता हैं|

computer virus notes

वायरस का इतिहास

आधुनिक वायरस में C Brain नाम का पहला वायरस माना जाता है जो पूरे विश्व में बड़े स्तर पर फैला था | इस वायरस को एक समाचार का रूप मिला था क्योकि इस वायरस में वायरस बनाने वाले का नाम, पता तथा इसका विशेषाधिकार वर्ष (1986) मौजूद था | उस प्रोग्राम में दो पाकिस्तानी भाइयो बासित तथा अमजद का नाम उनके कम्पनी का नाम तथा पूर्ण पता उपलब्ध था| उस समय वायरस बिल्कुल नया था अत: लोगो ने इसके बारे में बहुत गंभीरता से नही सोचा |

सन 1988 के प्रारम्भ में मैकिन्टोश शांति वायरस उभरा | यह वायरस एक पत्रिका मैकमैग (MacMag) के प्रकाशक रिचर्ड ब्रेनड्रा (Richard Brando) की ओर से था | इस वायरस को मैकिन्टोश आपरेटिंग सिस्टम को बाधित करने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया था तथा 2 मार्च 1988 को निम्नलिखित सन्देश स्क्रीन पर आया –
रिचर्ड ब्रेनडा, मैकमैग के प्रकाशक तथा इसके कर्मचारी दुनिया के लिए समस्त मैकिन्टोश प्रयोक्ताओ को विश्व शांति का सन्देश देना चाहते है|
वायरस दिन प्रतिदिन समय के अनुसार आते गए तथा इससे बचने के लिए प्रयोक्ता ने इस समस्या का हल भी ढूँढना शुरू किया और तब वायरस विरोधी सॉफ्टवेयर का अविष्कार हुआ जो आज अपने आप में एक सम्पूर्ण उधोग है | परन्तु जैसे जैसे वायरस विरोधी सॉफ्टवेयर बनते गए, उसी गति से नये-नये वायरस भी बनाये जाने लगे | जब वायरस विरोधी सॉफ्टवेयर उधोग ने समझ लिया की अब उन्होंने इस पर नियंत्रण कर लिया है तभी मैक्रो वायरस का उदय हुआ | सामान्य वायरस क्रियान्वित योग्य फ़ाइलो तथा सिस्टम क्षेत्र को संक्रमित करते थे जबकि मैक्रो वायरस ने मइक्रो साफ्टवेयर वर्ड के फ़ाइलो को संक्रमिक करना शुरू किया |
इसके बाद कई वायरस का निमार्ण किया गया । जो अलग अलग प्रकार से कार्य करते है।

लक्षण :-
  1. कम्पुटर में उपयोगी सूचनाये नष्ट होना |
  2. डायरेक्ट्री में बदलाव करना |
  3. हार्ड डिस्क व फ्लापी डिस्क को फार्मेट करना |
  4. कम्प्यूटर की गति को कम करना |
  5. की-बोर्ड की कुंजियो का कार्य बदल देना |
  6. प्रोग्राम तथा अन्य फइलो का डाटा बदल देना |
  7. फइलो को क्रियान्वित होने से रोक देना |
  8. स्क्रीन पर बेकार की सूचना देना |
  9. बूट सेक्टर में प्रविष्ट होकर कम्प्यूटर को कार्य न करने देना |
  10. फइलो के आकार को परिवर्तित कर देना |

Computer से जुड़े सभी Full Form

Computer से जुड़े सभी Full Form Computer Full Form : C =  COMMON O =  OBJECTIVE M =  MACHINE P =  PRACTICALLY U =  USED in T =  TRADE E...