Wednesday, 31 January 2018

Osi model




ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन (ओएसआई) मॉडल सात परतों में प्रोटोकॉल को लागू करने के लिए नेटवर्किंग ढांचे को परिभाषित करता है. आपको पहले यह समझना होगा कि OSI  मॉडल मूर्त नहीं है बल्कि यह वैचारिक है. आपको आगामी NICL AO और अन्य बैंकिंग भर्ती परीक्षाओं के कंप्यूटर अनुभाग में OSI मॉडल से संबंधित प्रश्न मिल सकते हैं.हालांकि बैंक परीक्षा के दृष्टिकोण से आपको विषय और नेटवर्किंग की अवधारणाओं की तकनीकी में बहुत गहराई तक जाने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन बुनियादी ज्ञान की आवश्यकता होती है क्योंकि परीक्षाओं में OSI मॉडल की अवधारणा से तैयार प्रश्न आ सकते हैं.OSI मॉडल की बुनियादी अवधारणाओं और शब्दावली को जानने के लिए पढ़ना जारी रखें

अंतर्राष्ट्रीय मानक संगठन (OSI) ने ओपन सिस्टम्स इंटरकनेक्शन (OSI) मॉडल विकसित किया है. लेयर्स 1-4 को निम्न परतों के रूप में माना जाता है, और यह अधिकतर आसपास चलते डेटा के साथ संबंध रखते हैं.5-7 लेयर्स, ऊपरी परतें, एप्लिकेशन-स्तरीय डेटा होते हैं. प्रत्येक लेयर में एक प्रोटोकॉल डाटा यूनिट है जो दूरसंचार में उपयोग किए जाने वाले एक ओपन-सिस्टम इंटरकनेक्शन (OSI) शब्द है.जो कि OSI मॉडल की एक परत से जुड़ी हुई या हटाई जाने वाली जानकारी के एक समूह को संदर्भित करता है.OSI लेयर में विशिष्ट प्रोटोकॉल भी हो सकते हैं,जो नियमों का एक समूह है जो एक नेटवर्क पर कंप्यूटर के बीच संचार को नियंत्रित करता है.

लेयर 1- PHYSICAL LAYER

physical लेयर, OSI मॉडल की निम्नतम परत है, यह एक भौतिक माध्यम पर असंरचित रॉ बिट स्ट्रीम के ट्रांसमिशन और रिसेप्शन से संबंधित है. यह एक वाहक नेटवर्क पर डेटा भेजने और प्राप्त करने के लिए हार्डवेयर साधन प्रदान करता है.

नेटवर्किंग डिवाइस – हब, नेटवर्क इंटरफेस कार्ड (NIC), रिपीटर, गेटवे
प्रोटोकॉल डेटा यूनिट - बिट
कुछ प्रोटोकॉल - ईथरनेट
नेटवर्क की physical लेयर हार्डवेयर तत्वों पर केंद्रित है, जैसे केबल, रिपीटर, और नेटवर्क इंटरफ़ेस कार्ड.physical लेयर पर उपयोग किए जाने वाला सबसे आम प्रोटोकॉल ईथरनेट हैं. उदाहरण के लिए, एक ईथरनेट नेटवर्क (जैसे 10BaseT या 100BaseTX) उस केबल के प्रकार को निर्दिष्ट करता है जो ऑप्टीमल टोपोलॉजी (star vs. bus, आदि), केबल की अधिकतम लंबाई,का उपयोग करती है,  आदि.

लेयर 2 – DATA LINK LAYER

भौतिक परत से डेटा प्राप्त करते समय, डेटा लिंक परत भौतिक संचरण त्रुटियों और संकुल बिट्स में डेटा "फ़्रेम" की जांच करता है. यह डेटा लिंक परत डेटा फ़्रेम के एक नोड से भौतिक परत पर दूसरे स्थान पर त्रुटि-मुक्त स्थानांतरण प्रदान करता है, इसके ऊपर की परतों को लिंक पर वस्तुतः त्रुटि मुक्त संचरण ग्रहण करने की अनुमति देता है.

डेटा लिंक लेयर दो उप-लेयरों में विभाजित है: मीडिया एक्सेस कंट्रोल (MAC) लेयर और लॉजिकल लिंक कंट्रोल (LLC) लेयर. MAC उप लेयर यह नियंत्रित करती है कि नेटवर्क पर एक कंप्यूटर डेटा को कैसे पहुंचता है और इसे संचारित करने की अनुमति देता है.LLC  लेयर सिंक्रनाइज़ेशन, प्रवाह नियंत्रण और त्रुटि जांच को नियंत्रित करता है.

नेटवर्किंग डिवाइस – ब्रिज, ईथरनेट स्विच और मल्टी लेयर स्विच, प्रॉक्सी सर्वर, गेटवे
प्रोटोकॉल डेटा यूनिट - फ्रेम
कुछ प्रोटोकॉल – ईथरनेट, प्वाइंट टू प्वाइंट प्रोटोकॉल(PPP)

लेयर 3 – NETWORK LAYER

नेटवर्क लेयर नेटवर्क स्थितियों, सेवा की प्राथमिकता, और अन्य कारकों के आधार पर डेटा को किस भौतिक पथ पर ले जाना चाहिए, इसका निर्णय करने के संचालन को नियंत्रित करता है.जब डेटा नेटवर्क परत पर आता है,प्रत्येक फ़्रेम के अंदर स्थित स्रोत और गंतव्य पते की जांच करने के लिए यह जांच की जाती है कि डेटा अंतिम गंतव्य तक पहुंचा  है या नहीं. यदि डेटा अंतिम गंतव्य तक पहुंच जाता है, तो नेटवर्क परत डेटा को ट्रांसपोर्ट लेयर तक पहुंचाने वाले पैकेट में प्रारूपित करती है.अन्यथा, नेटवर्क परत गंतव्य एड्रेस को अपडेट करता है और फ़्रेम को नीचे की परतों में वापस धकेलता है.

नेटवर्किंग डिवाइस – राऊटर, मल्टी लेयर स्विच, गेटवे, प्रॉक्सी सर्वर
प्रोटोकॉल डेटा यूनिट-पैकेट्स
कुछ प्रोटोकॉल– एड्रेस रिज़ॉल्यूशन प्रोटोकॉल (ARP), IPv4/IPv6, इंटरनेट प्रोटोकॉल, रूटिंग इन्फोर्मेशन प्रोटोकॉल (RIP), IPX.

लेयर 4 – TRANSPORT LAYER

ट्रांसपोर्ट लेयर सिस्टम या होस्ट के बीच डेटा के पारदर्शी स्थानांतरण प्रदान करता है, और यह एंड-टू-एंड एरर रिकवरी और फ्लो कंट्रोल के लिए जिम्मेदार है. यह उनके और उनके सहयोगियों के बीच डेटा के हस्तांतरण के साथ उच्च स्तर के प्रोटोकॉल को किसी भी चिंता से राहत देता है. ट्रांसपोर्ट लेयर प्रवाह नियंत्रण, विभाजन और त्रुटि नियंत्रण के माध्यम से संचार की विश्वसनीयता को नियंत्रित करता है. ट्रांसपोर्ट प्रोटोकॉल के दो महत्वपूर्ण उदाहरण TCP हैं (जैसे  TCP/IP) और UDP है.
नेटवर्किंग डिवाइस  –  प्रॉक्सी सर्वर, गेटवे
प्रोटोकॉल डेटा यूनिट– टीसीपी के लिए सेगमेंट, यूडीपी के लिए डेटाग्राम
कुछ प्रोटोकॉल– SPX, TCP
IP के साथ रखा गया TCP, ट्रांसपोर्ट लेयर पर सबसे लोकप्रिय प्रोटोकॉल है.यदि IPX प्रोटोकॉल नेटवर्क लेयर पर उपयोग किया जाता है,तो यह ट्रांसपोर्ट लेयर पर SPX के साथ जोड़ा जाता है.

लेयर 5 – SESSION LAYER

सेशन लेयर, निर्देशांक और वार्तालाप को समाप्त करता है. सेवाओं में एक व्यवधान के बाद प्रमाणीकरण और पुन: कनेक्शन शामिल है. यह विभिन्न स्टेशनों पर चलने वाली प्रक्रियाओं के बीच सत्र प्रतिष्ठान की अनुमति देता है.

नेटवर्किंग डिवाइस  – गेटवे, लॉजिक पोर्ट्स
प्रोटोकॉल डेटा यूनिट – डेटा/सत्र
कुछ प्रोटोकॉल – AppleTalk डेटा स्ट्रीम प्रोटोकॉल, रिमोट प्रोसीक्चर कॉल प्रोटोकॉल (आरपीसी)


लेयर 6 – PRESENTATION LAYER

OSI मॉडल की छठी परत के रूप में, प्रेजेंटेशन लेयर मुख्य रूप से दो नेटवर्किंग विशेषताओं के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है: प्रोटोकॉल और आर्किटेक्चर.जबकि, प्रोटोकॉल एक मानक निर्धारित दिशा निर्देशों को परिभाषित करता है जिसके तहत नेटवर्क संचालित होता है. नेटवर्क का आर्किटेक्चर यह निर्धारित करता है कि कौन सा प्रोटोकॉल लागू होता है, एन्क्रिप्शन आम तौर पर इस लेयर पर भी किया जाता है

नेटवर्किंग डिवाइस -–  गेटेवे
प्रोटोकॉल डेटा यूनिट –  डेटा / एन्कोडेड यूजर डेटा
कुछ प्रोटोकॉल – म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट डिजिटल इंटरफ़ेस  (MIDI), मूविंग पिक्चर एक्सपर्ट ग्रुप(MPEG)

लेयर 7 – APPLICATION LAYER

एप्लीकेशन लेयर उपयोगकर्ताओं और एप्लीकेशन प्रक्रियाओं के लिए नेटवर्क सेवाओं के उपयोग के लिए विंडो के रूप में कार्य करता है.इस परत पर सब कुछ एप्लिकेशन-विशिष्ट है. यह लेयर फ़ाइल स्थानांतरण, ई-मेल और अन्य नेटवर्क सॉफ़्टवेयर सेवाओं के लिए एप्लीकेशन सेवाएं प्रदान करती है. टेलनेट और FTP  ऐसी एप्लीकेशन हैं जो एप्लीकेशन लेयर में पूरी तरह से मौजूद हैं.

नेटवर्किंग डिवाइस –  गेटवे
प्रोटोकॉल डेटा यूनिट – डेटा
कुछ प्रोटोकॉल– DNS, FTP, SMTP, POP3, IMAP, Telnet, HTTP

Monday, 29 January 2018

GST NOTES


  • What is Goods and Service Tax – GST क्या है?

    जीएसटी (GST), भारत के कर ढांचें में सुधार का एक बहुत बड़ा कदम है। वस्तु एंव सेवा कर (Goods and Service Tax) एक अप्रत्यक्ष कर कानून है (Indirect Tax) है। जीएसटी एक एकीकृत कर है जो वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर लगेगा। जीएसटी लागू होने से पूरा देश,एकीकृत बाजार में तब्दील हो जाएगा और ज्यादातर अप्रत्यक्ष कर जैसे केंद्रीय उत्पाद शुल्क (Excise), सेवा कर (Service Tax), वैट (Vat), मनोरंजन, विलासिता, लॉटरी टैक्स आदि जीएसटी में समाहित हो जाएंगे। इससे पूरे भारत में एक ही प्रकार का अप्रत्यक्ष कर लगेगा 
    जीएसटी की पूरी जानकारी हिंदी में - GST (Goods and Service Tax) Details in Hindi

    क्यों जरूरी है जीएसटी  – Why GST Bill

     भारत का वर्तमान कर ढांचा (Tax Structure) बहुत ही जटिल है। भारतीय संविधान के अनुसार मुख्य रूप से वस्तुओं की बिक्री पर कर लगाने का अधिकार राज्य सरकार और वस्तुओं के उत्पादन व सेवाओं पर कर लगाने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है।  इस कारण देश में अलग अलग तरह प्रकार के कर लागू है, जिससे देश की वर्तमान कर व्यवस्था बहुत ही जटिल है। कंपनियों और छोटे व्यवसायों के लिए विभिन्न प्रकार के कर कानूनों का पालन करना एक मुश्किल होताहै।

    टैक्स पर टैक्स की व्यवस्था समाप्त होगी  – GST will eliminate Cascading Effect

    अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxation System) व्यवस्था में कर-भार अंतिम उपभोक्ता को वहन करना पड़ता है, लेकिन कर का संग्रहण (Collection of Tax) व्यवसायियों द्वारा किया जाता है। व्यवसायी को ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर की क्रेडिट (Input Credit) मिलती है जिसका उपयोग वह अपने कर के भुगतान में कर सकता है। इस व्यवस्था से कर केवल मूल्य संवर्धन (बिक्री – खरीद) या (Value Addition) पर ही लगता है। व्यवसायी उपभोक्ता से कर संग्रहित करता है और उसमें से अपनी इनपुट क्रेडिट (ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर) को घटाकर बाकी कर सरकार को जमा करवाते है।
    लेकिन वर्तमान व्यवस्था में भारत में केंद्र सरकार द्वारा उत्पाद शुल्क(Excise Duty) व सेवा कर (Service Tax) और राज्य सरकार द्वारा बिक्री कर(VAT or Sales Tax) लगाया जाता है।  इस कारण व्यवसायी को उत्पाद शुल्क और सेवा कर के भुगतान में बिक्री कर की इनपुट क्रेडिट (ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर ) का उपयोग नहीं कर सकता और बिक्री कर के भुगतान में सेवा कर(सेवाओं पर चुकाए गए कर) और उत्पाद शुल्क (ख़रीदे गए माल पर लगे उत्पाद शुल्क) की क्रेडिट का उपयोग नहीं कर सकता।  इस कारण वर्तमान व्यवस्था में टैक्स पर टैक्स लग जाता है, जिससे वस्तुओं और सेवाओं की कीमत बढ़ जाती है ।
    GST लागू होने से पूरे देश में एक ही प्रकार का अप्रत्यक्ष कर होगा जिससे व्यवसायियों को ख़रीदी गयी वस्तुओं और सेवाओं पर चुकाए गए जीएसटी की पूरी क्रेडिट (Credit) मिल जाएगी जिसका उपयोग वह बेचीं गयी वस्तुओं और सेवाओं पर लगे जीएसटी के भुगतान में कर सकेगा। इससे टैक्स केवल मूल्य संवर्धन पर ही लगेगा और टैक्स पर टैक्स लगाने की व्यवस्था समाप्त होगी जिससे लागत में कमी आएगी।

    जीएसटी की मुख्य बातें – Benefits/Salient features of GST


    •         GST केवल अप्रत्यक्ष करों को एकीकृत करेगा, प्रत्यक्ष कर जैसे आय-कर आदि वर्तमान व्यवस्था के अनुसार ही लगेंगे।
      ·         जीएसटी के लागू होने से पूरे भारत में एक ही प्रकार का अप्रत्यक्ष कर लगेगा जिससे वस्तुओं और सेवाओं की लागत में स्थिरता आएगी
      ·         संघीय ढांचे को बनाए रखने के लिए जीएसटी दो स्तर पर लगेगा – सीजीएसटी (केंद्रीय वस्तु एंव सेवा कर) और एसजीएसटी (राज्य वस्तु एंव सेवा कर)। सीजीएसटी का हिस्सा केंद्र को और एसजीएसटी का हिस्सा राज्य सरकार को प्राप्त होगा।एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री की स्थति में आईजीएसटी (एकीकृत वस्तु एंव सेवाकर) लगेगा। आईजीएसटी का एक हिस्सा केंद्रसरकार और दूसरा हिस्सा वस्तु या सेवा का उपभोग करने वाले राज्य को प्राप्त होगा।
      ·         व्यवसायी ख़रीदी गई वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले जीएसटी की इनपुट क्रेडिट ले सकेंगे जिनका उपयोग वे बेचीं गई वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले जीएसटी के भुगतान में कर सकेंगे।सीजीएसटी की इनपुट क्रेडिट का उपयोग आईजीएसटी व सीजीएसटी के आउटपुट टैक्स के भुगतान, एसजीएसटी की क्रेडिट का उपयोग एसजीएसटी व आईजीएसटी के आउटपुट टैक्स के भुगतान और आईजीएसटी की क्रेडिट का उपयोग आईजीएसटी, सीजीएसटी व एसजीएसटी के आउटपुट टैक्स के भुगतान में किया जा सकेगा ।
      ·         GST के तहत उन सभी व्यवसायी, उत्पादक या सेवा प्रदाता को रजिस्टर्ड होना होगा जिन की वर्षभर में कुल बिक्री का मूल्य एक निश्चित मूल्य से ज्यादा है।
      ·         प्रस्तावित जीएसटी में व्यवसायियों को मुख्य रूप से तीन अलग अलग प्रकार के टैक्स रिटर्न भरने होंगे जिसमें इनपुट टैक्स, आउटपुट टैक्स और एकीकृत रिटर्न शामिल है।

    जीएसटी का आम लोगों पर प्रभाव – Impact of GST on General Public

    • अप्रत्यक्ष करों का भार अंतिम उपभोक्ता को ही वहन करना पड़ता है। वर्तमान में एक ही वस्तुओं पर विभिन्न प्रकार के अलग अलग टैक्स लगते है लेकिन जीएसटी आने से सभी वस्तुओं और सेवाओं पर एक ही प्रकार का टैक्स लगेगा जिससे वस्तुओं की लागत में कमी आएगी। हालांकि इससे सेवाओं की लागत बढ़ जाएगी
      ·         दूसरा सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह होगा कि पूरे भारत में एक ही रेट से टैक्स लगेगा जिससे सभी राज्यों में वस्तुओं और सेवाओं की कीमत एक जैसी होगी।
      ·         Goods and Service Tax Law (GST)  लागू होने से केंद्रीय सेल्स टैक्स (सीएसटी ), जीएसटी में समाहित हो जाएगा जिससे वस्तुओं की कीमतों में कमी आएगी ।
      

    जीएसटी का व्यवसायों पर प्रभाव – Impact of GST on Businesses 

    • वर्तमान में व्यवसायों को अलग-अलग प्रकार के अप्रत्यक्ष करों का भुगतान करना पड़ता है जैसे वस्तुओं के उत्पादन करने पर उत्पाद शुल्क, ट्रेडिंग करने पर सेल्स टैक्स, सेवा प्रदान करने पर सर्विस टैक्स आदि। इससे व्यवसायों को विभिन्न प्रकार के कर कानूनों की पालना करनी पड़ती है जो कि बहुत ही मुश्किल एंव जटिल कार्य है। लेकिन जीएसटी के लागू होने से उन्हें केवल एक ही प्रकार अप्रत्यक्ष क़ानून का पालन करना होगा जिससे भारत में व्यवसाय में सरलता आएगी।
      ·         वर्तमान में व्यवसायी, उत्पाद शुल्क व सेवा कर के भुगतान में बिक्री कर की इनपुट क्रेडिट (ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर) का उपयोग नहीं कर सकता और बिक्री कर के भुगतान में सेवा कर(सेवाओं पर चुकाए गए कर) और उत्पाद शुल्क (ख़रीदे गए माल पर लगे उत्पाद शुल्क) की क्रेडिट का उपयोग नहीं कर सकता। इस कारण वस्तुओं और सेवाओं की लागत बढ़ जाती है। लेकिन जीएसटी के लागू होने से व्यवसायियों को सभी प्रकार की खरीदी गयी वस्तुओं और सेवाओं पर चुकाए गए जीएसटी की  पूरी क्रेडिट मिल जाएगी जिसका उपयोग वह बेचीं गयी वस्तुओं और सेवाओं पर लगे जीएसटी के भुगतान में कर सकेगा। इससे लागत में कमी आएगी
      ·         ऐसा कहा जा रहा है कि जीएसटी के आने से व्यवसाय करना आसान हो जाएगा लेकिन शुरूआती वर्षों में व्यवसायों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए जीएसटी में प्रत्येक महीने में तीन अलग अलग तरह के रिटर्न फाइल करने पड़ेंगे।
      ·         वर्तमान में विभिन्न प्रकार के अप्रत्यक्ष करों में थ्रेसहोल्ड लिमिट (छूट की सीमा) अलग अलग है।  मुख्य रूप से सेल्स टैक्स में थ्रेसहोल्ड लिमिट 5 लाख, सर्विस टैक्स में 10 लाख और उत्पाद शुल्क में 1.5 करोड़ है। जीएसटी आने से सभी प्रकार के व्यवसायों (ट्रेडिंग, उत्पादक या सेवा प्रदाता ) के लिए एक ही प्रकार की थ्रेसहोल्ड लिमिट (छूट की सीमा) रखने का प्रस्ताव है। यह थ्रेसहोल्ड लिमिट इन तीनों कानूनों (सेल्स टैक्स, सेवा कर और उत्पाद शुल्क) की वर्तमान लिमिट को ध्यान में रखकर बनाई जाएगी।  जिसका मुख्य प्रभाव यह होगा कि छूट सीमा 50 लाख से कम ही रखी जाएगी जिससे छोटे उत्पादक जो कि वर्तमान में 1.5  करोड़ तक छूट सीमा का फायदा उठा रहे है वे भी जीएसटी के दायरे में आ जाएगें।
      ·         वर्तमान में एक राज्य से दुसरे राज्य में माल बेचने पर 2% की दर से केंद्रीय सेल्स टैक्स लगता है जिसकी इनपुट क्रेडिट नहीं मिलती। जीएसटी के लागू होने के बाद से केंद्रीय सेल्स टैक्स नहीं लगेगा जिससे वस्तुओं की लागत में कमी आएगी ।
    GST के अंतर्गत पांच तरह की Tax Rates रखी गयी हैं| आवश्यक वस्तुओं पर कम दर हैं तो विलासिता की वस्तुओं और सेवाओं पर ज्यादा| GST के लागू होने बाद वर्तमान के Indirect Taxes जैसे Excise Duty, Service Tax और VAT आदि समाप्त हो जायेंगे और उसकी जगह केवल GST ही लगेगा| GST के लागू होने के बाद कुछ वस्तुएं सस्ती होंगी तो कुछ महँगी|

    GST Rates On Goods 

    सभी मुख्य वस्तुओं पर GST की दरें इस प्रकार हैं –
    RE: जीएसटी टैक्स की रेट क्या हैं ? - Tax Rate Under GST

    GST से क्या सस्ता होगा और क्या महंगा हो सकता हैं? – GST Impact on Prices

    GST Impact on Prices

    Sunday, 28 January 2018

    Windows OS

    List of Windows OS and History
    10 नवंबर, 1983 को माइक्रोसॉफ्ट विंडोज की घोषणा बिल गेट्स ने की थी। माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज़ को MS-DOS के लिए एक ग्राफिकल यूजर इंटरफेस के रूप में पेश किया, जिसे दो साल पहले पेश किया गया था। Microsoft Windows एक ग्राफिकल इंटरफ़ेस वाला ऑपरेटिंग सिस्टम है| Microsoft विंडोज बहुत ही उपयोगकर्ता के अनुकूल, लोकप्रिय और ज्यादा प्रयोग होने वाला ऑपरेटिंग सिस्टम है| तो इस पोस्ट में हम जानेंगे की माइक्रोसॉफ्ट ने कब कब विंडोज के विभिन्न विभिन्न संस्करण लांच किये|
    विंडोज का नामप्रारंभ की तिथिप्रसारित संस्करण
    Windows 1029 July 2015NT 10.0
    Windows 8.117 October 2013NT 6.3
    Windows 826 October 2012NT 6.2
    Windows 722 October 2009NT 6.1
    Windows Vista30 January 2007NT 6.0
    Windows XP Professional x6425 April 2005NT 5.2
    Windows XP25 October 2001NT 5.1
    Windows ME14 September 20004.90
    Windows 200017 February 2000NT 5.0
    Windows 9825 June 19984.10
    Windows NT 4.024 August 1996NT 4.0
    Windows 9524 August 19954.00
    Windows NT 3.5130 May 1995NT 3.51
    Windows NT 3.521 September 1994NT 3.50
    Windows 3.222 November 19933.2
    Windows for Workgroups 3.11November 19933.11
    Windows NT 3.127 July 1993NT 3.10
    Windows 3.1April 19923.10
    Windows 3.022 May 19903.00
    Windows 2.1113 March 19892.11
    Windows 2.1027 May 19882.10
    Windows 2.039 December 19872.03
    Windows 1.04April 19871.04
    Windows 1.03August 19861.03
    Windows 1.02May 19861.02
    Windows 1.0120 November 19851.0

    Saturday, 27 January 2018

    Some special information

    कंप्यूटर से जुडी रोचक  महत्वपूर्ण  तथ्य:-
    • चार्ल्स बेबेज को कंप्यूटर का पितामह कहते है।
    • वाँन न्यूमेन का कंप्यूटर के विकास से सम्बंधित योगदान है।
    • आधुनिक कंप्यूटर की खोज सर्वप्रथम 1946ई0 में हुई।
    • 2 दिसम्बर को कंप्यूटर साक्षरता के रूप में मनाया जाता है।
    • भारत मे निर्मित प्रथम कंप्यूटर सिद्धार्त है।इसका निर्माण इलेक्ट्रॉनिक कार्पोरेशन ऑफ इंडिया ने किया था।
    • भारत मे प्रथम कंप्यूटर 16अगस्त 1986 को बेंगलूर के प्रधान डाकघर में लगाया गया था।
    • भारत का प्रथम कंप्यूटरकृत डाकघर नई देलही मे है।
    • कंप्यूटरतीन प्रकारके होतेहैडिजिटल,एनालॉग,हैब्रिड।
    • सामान्य कंप्यूटर की तुलना मे 10 गुना तेज कार्य करने वाले कंप्यूटर को सुपर कंप्यूटर कहते है।
    • अनोलॉग और डिजिटल के संयुक्त रूप को हाइब्रिड कंप्यूटर कहते है।
    • वह कंप्यूटर जो आकलन के सिद्धान्त के अनुसार कार्य करता है उसे एनालॉग कंप्यूटर कहते है।
    • कंप्यूटर डेटा की सबसे छोटी इकाई बिट है।बाईनरी इकाई के आरंभिक एवं अंतिम अक्षरो से बने संछिप्त शब्द-0 से 1 के बिट को कहा जाता है।
    • T-3A विश्व का सबसे तेज कंप्यूटर है।
    • असेम्बरलर,असेम्बली भाषा को यन्त्र  भाषा मे परिवर्तित करती है।
    • टीम बनर्स ली www(world wide web)के अविष्कारक और तथा प्रवर्तक है।
    • इंटीग्रेटेड सर्किट चिप का विकाश जे0 एस0 किल्बी ने किया।
    • वह कंप्यूटर जो गडीटीए गड़ना करता है वह डिजिटल कंप्यूटर कहलाता है।
    • कंप्यूटर साक्षरता  का अर्थ होता है-कंप्यूटर क्या कर सकता है क्या नहीं इस बात की जानकारी होना।
    • कंप्यूटर के छेत्रा मे महान क्रांति 1960ई0 मे आई।
    • विश्व मे सर्वधिक कंप्यूटर वाला देश संयुक्त राज्य अमेरिका है।
    • भारत मे नई कंप्यूटर निति की घोसड़ा 1984 नवंबर में की गयी।
    • भारतीये जनता पार्टी भारत की पहली ऐसी पार्टी है,जिसने इन्टरनेट पर  अपना बेबसाइट बनाया है।
    • भारत का प्रथम प्रदूसणरहित कंप्यूटरकृत पेट्रोल पम्प मुम्बई है।
    • भारत मे प्रथम कंप्यूटर आरक्षण पद्दति नई डेल्ही मे लागु की गयी।
    • निजी छेत्रा के अंतर्गत स्थापित होने वाला भारत का प्रथम कंप्यूटर विश्विद्यालय  राजीव गांधी कंप्यूटर विश्वविद्यालय है।
    • इंटीग्रेटेड सर्किट चिप पर सिलिकॉन की परत होती है।
    • भारत की सिलिकॉन घाटी बंगलोरे मे स्तिथ है।
    • एक सुपर में करीब 40 हजार माइक्रो कंप्यूटर जितनी परिकलन छमता होती है,इसकी गति को मेगाफ्लाप से मापा जाता है।
    • प्रोलोग(prolog) पंचम पीडी के कंप्यूटर की भाषा है।
    • माइक्रो प्रोसेसर चतुर्थ पीडी का कंप्यूटर है।
    • विश्व का प्रथम सुपर कंप्यूटर क्रे0 के0 1-एस था,जो 1979 में बनकर तैयार हुआ था।इसे अमेरिका के क्रे रिसर्च कंपनी ने बनाया था।
    • अनुवाद प्रोग्राम जो उच्च स्तरिये भाषा क निम्न स्तरिये भाषा मे अनुवाद करता है कम्पाइलर कहलाता है।
    • 32 कंप्यूटर के बराबर कार्य कर सकने वाला डीप ब्लू कंप्यूटर एक सेकिण्ड में शतरंज की 20करोड़ चाले सोच सकता है।इसी सुपर कंप्यूटर ने विश्व  चैम्पिऑन गौरी कास्पारोव को पराजित किया था।
    • कबोल बहस से सर्वाधिक उपुक्त डिक्युमेंटिशन संभव है।
    • कोबोल उच्च स्तरिये  भाषा (HLL) के सामान है।
    • विश्व के प्रथम इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर का नाम एनियक है।
    • विश्व के सबसे बड़ा कंप्यूटर का नाम इंटरनेट है। याहू, गूगल,एवम् MSN सर्चइंजन है।
    • हिन्दी  कमांड स्वीकार करने वाला कंप्यूटर प्रदेश है।
    • विश्व का प्रथम दिगिरल कंप्यूटर यूनिवेक था।
    • इन्टरनेट पर उपलब्ध होने वाली प्रथम भारतीय समाचार पत्र -the hindu है।
    • इन्टरनेट पर उपलब्ध होने वाली प्रथम भारतीय पत्रिका-India today है।
    • डिजिटल कंप्यूटर की कार्य पद्दति गड़ना और सिद्धांत पर आधारित है।
    • वैज्ञानिको के अनुसार भारतीय भाषा संस्कृत कंप्यूटरकृत करने के लिए सबसे आसान है।
    • USENET तमाम विश्वविद्यालय को एक साथ जोड़ने की प्रणाली है।
    • इन्टरनेट सुचना की खोज करने में आर्क सबसे ज्यादा मदद करता है।
    • आर्क का विकाश मैकगिल यूनिवर्सिटी ने किया था।
    • प्रथम घरेलु कंप्यूटर कमोडोर VIC/20 है।
    • कंप्यूटर की प्रथम पत्रिका कंप्यूटर एंड ऑटोमेशन है।
    • कंप्यूटर पर लिखी पुस्तक सोल ऑफ न्यू मशीन( लेखक-टैसी किडर)को पुलित्जर पुरस्कार दिया गया था।
    • पर्सनल कंप्यूटर पर सर्वप्रथम पुस्तक टेड नेल्सन ने लिखा।
    • 1GB( गीगाबाइट) 1024MBके बराबर है।
    • 1MB(मेगाबाइट) 1024 KB के  बराबर है।
    • 1KB(किलोबाइट) 1024 बाईट के तुल्य होता है।
    • कंप्यूटर बर्ड में कुल आठ संयोजक होते है।
    • कंप्यूटेट असुधि को बग(Bug) कहते है।

    • पुणे के C-Dac के वैज्ञानिक ने 28 मार्च 1998 को प्रति सेकंड एक खरब गड़ना करने की छमता से युक्त कंप्यूटर परम-1000 का निर्माण किया है।इसके विकास का मुख्या श्रेय C-Dac के कार्यकारी निदेशक डॉ0 विजय पी0 भास्कर को जाता है।    
    • किसी कंप्यूटर या उसके हार्ड डिस्क या किसी चलते हुए कार्यक्रम प्रोग्राम का अचानक को ख़राब हो जाना या समाप्त हो जाना  क्रेस कहलाता है।

    E commarce notes

    What Is e-commerce?

    ई-कॉमर्स क्या है?

    क्या आपने कभी इंटरनेट पर शूज, जैकेट या अन्‍य कोई भी चीज़ खरीदी है? या, शायद आपने अपने पुराने मोबाइल या लैपटॉप को बेचने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल किया है? यदि हां, तो आपने ई-कॉमर्स में हिस्सा लिया है।
    e-commerce शब्‍द “Electronic Commerce” का संक्षिप्त रूप है।
    ई-कॉमर्स जिसे इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के रूप में भी जाना जाता है, यह एक प्रोसेस हैं, जिसके द्वारा बिज़नेस और कन्‍जूमर एक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से माल और सर्विसेस को बेचते और खरीदते हैं।

    History of e-commerce:

    ई-कॉमर्स का इतिहास:

    ई-कॉमर्स की शुरुआत 1960 के दशक से शुरू हुई थी, जब बिज़नेसेस ने अन्य कंपनियों के साथ बिज़नेस डयॉक्‍युमेंट को शेयर करने के लिए Electronic Data Interchange (EDI) का प्रयोग शुरू किया।
    1979 में, अमेरिकन नेशनल स्टैंडर्ड इंस्टीट्यूट ने ASC X12 को इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क के माध्यम से डयॉक्‍युमेंट को शेयर करने के व्यवसायों के लिए एक युनिवर्सल स्‍डैंडर्ड के रूप में विकसित किया था।
    ई-कॉमर्स की हिस्‍ट्री को eBay और Amazon के बिना सोचना असंभव है जो इलेक्ट्रॉनिक ट्रैन्सैक्शन को शुरू करने वाली पहली इंटरनेट कंपनियों में से थे।
    1990 के दशक में eBay और Amazon के उदय से ई-कॉमर्स उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव आया। यूजर्स अब ई-कॉमर्स के माध्‍यम से किसी भी चीज़ को खरीद सकते थे।

    Types of E-Commerce:

    ई-कॉमर्स के प्रकार:

    कई प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स हैं
    सामान्यतया, जब हम ई-कॉमर्स के बारे में सोचते हैं, तब हम एक सप्लायर और क्लाइंट के बीच एक ऑनलाइन कमर्शियल ट्रैन्सैक्शन के बारे में सोचते हैं। हालांकि, यह विचार सही है, लेकिन वास्तव में ई-कॉमर्स को छह प्रमुख प्रकारों में बांट सकते हैं, सभी अलग-अलग विशेषताओं के साथ।
    ई-कॉमर्स के 4 बुनियादी प्रकार हैं:

    1) Business-to-Consumer (B2C):

    इस बिज़नेस में एक बिज़नेस इंटरनेट पर प्रॉडक्‍ट या सर्विसेस को सिधे कन्‍जूमर को बेचता हैं।
    उदाहरण के लिए आप Amazon, Flipkart या अन्‍य किसी साइट से कोई भी चीज खरीदते हैं।

    2) Business-to-Business (B2B):

    यहां कंपनियां इंटरनेट पर अन्य कंपनियों को प्रॉडक्‍ट या सर्विसेस को बेचती हैं।
    इस प्रकार के ई-कॉमर्स में, दोनों पार्टिसिपेंट्स बिज़नेसेस होते हैं, नतीजतन, B2B e-commerce का वॉल्यूम और वैल्यू बहुत बड़ी हो सकती है।

    3) Consumer-to-Consumer (C2C)

    जब कन्‍जूमर अपने प्रॉडक्‍ट को किसी अन्‍य कन्‍जूमर को इंटरनेट पर बेचता हैं, तब इस ट्रैन्सैक्शन को Consumer-to-Consumer (C2C) कहा जाता हैं।
    इसमें एक कन्‍जूमर अपनी पूरानी कार, बाइक जैसी अपनी प्रॉपर्टी को अन्‍य कन्‍जूमर को सिधे इंटरनेट के माध्‍यम से बेचता हैं।
    आम तौर पर, ये लेन-देन थर्ड पार्टी के माध्यम से किया जाता है, जो ऑनलाइन प्लेटफार्म प्रदान करते है। इसके लिए Olx जैसी कई कंपनिया सर्विस के लिए कन्‍जूमर को चार्ज करती हैं या फ्री में सर्विस देती हैं।

    4) Consumer-to-Business (C2B)

    C2B में माल का आदान-प्रदान करने की परंपरागत समझ का एक पूर्ण उलट है।
    इसका एक उदाहरण एक कन्‍जूमर वेब साइट बनाने के लिए ऑनलाइन रिक्वायरर्मन्ट देता हैं, और कई कंपनिया इसके लिए अच्‍छी किमत पर वेब साइट बनाकर देने के लिए ऑफर करती हैं। इसी तरह से हॉलिडे पैकेज या इन्शुरन्स भी इसके उदाहरण हो सकते हैं।

    Advantages of e-commerce:

    ई-कॉमर्स के फायदे:

    1) सुविधा बढ़ाता है: ग्राहक अपनी सुविधा के अनुसार वस्तुओ की ऑर्डर अपने घर पर बैठ कर दे सकते हैं। और इसकी डिलेवरी उन्‍हे उनके घर पर ही मिल जाती हैं। यह उन लोगों के लिए सबसे अच्छा खरीदारी ऑप्‍शन है जो हमेशा व्यस्त होते हैं।

    2) प्रॉडक्‍ट और किमत की तुलना कर सकते है: खरीदारी करते समय, ग्राहक उस वस्‍तू की किमत को कई बेव साइट पर तुलना कर सकता हैं, जिससे बेहतरीन प्रॉडक्‍ट पर उसे अच्‍छी डिल मिल जाती हैं।
    इसके साथ ही वे डिस्‍काउंट और कूपन जैसे अतिरिक्त लाभों का आनंद ले सकते हैं।

    3) स्‍टार्ट-अप के लिए आसान फंड: कई लोगों को बिज़नेस करने की इच्छा होती है, लेकिन शॉप लेने के लिए पर्याप्त कैपिटल नहीं होता। फिजिकल स्‍टोर लिज पर काफी महंगे होते है। ई-कॉमर्स, व्यापार को शुरू करने और बढ़ने के लिए आसान बनाता है।

    4) प्रभावशाली: ट्रेडिशनल बिज़नेस में बिज़नेस की जरूरतों को पूरा करने के लिए बहुत सारे रिसोर्सेस खर्च हो जाते हैं और इससे प्रॉफीट कम हो जाता हैं।
    ई-कॉमर्स में रिसोर्सेसे का कुशलता से उपयोग किया जाता है क्योंकि अधिकांश बिज़नेस सर्विसेस ऑटोमेटेड होती हैं।

    5) कन्‍जूमर तक पहुंच: ट्रेडिशनल बिज़नेस जैसे की दुकान की पहुंच काफी सीमीत होती हैं, जबकी इंटरनेट के माध्‍यम से वही बिज़नेस दुनिया भर के कन्‍जूमर को अपने प्रॉडक्‍ट और सर्विसेस बेच सकते हैं।

    6) प्रॉम्‍प्‍ट पेमेंट: ऑनलाइन स्टोर पर इलेक्ट्रॉनिक या मोबाइल ट्रांजेक्शन का उपयोग करते हुए पेमेंट फास्‍ट होता हैं।

    7) विभिन्न प्रॉडक्‍ट को बेचने की योग्यता: इंटरनेट पर बिज़नेस फ्लेक्सिबल हो सकता हैं और बिजनेस एक साथ कई प्रॉडक्‍ट या सर्विसेस बेच सकते हैं।

    Friday, 26 January 2018

    Dos cammand very simple manner

    डॉस की कमांड्स

    आंतरिक कमांड (internal command):-यह कमांड्स DOS के साथ हमेशा मौजूद रहते है क्योकि यह कमांड बूटिंग के साथ ही स्वतः मेमोरी में स्टोर हो जाते है | यह भी COM प्रोग्राम FILE में संकलित होते है | इसलिए ये कमांड सदैव उपलब्ध होते है जब तक कि क्रियान्वित कर सकते है कुछ आन्तरिक कमांड्स के उदाहरण निम्नलिखित है –MD, DIR, CD, Copy, Type, Rename इत्यादि|
    बाह्य कमांड (External Command):-बाह्य कमांड्स ऐसे छोटे प्रोग्राम (Short Program) होते है जो Floppy Disk अथवा Hard Disk पर Store होते है एवं आवश्यकता पढने पर इन्हें Execute किया जा सकता है यह मेमोरी में Store होते है एवं क्रियान्वित होते है | बाह्य कमांड्स कि अपनी एक फाइल होती है जिसको क्रियान्वित करने से कमांड रन होती है | बाह्य कमांड्स (External Commands) के उदाहरण निम्न है – Format, Print, Backup, Help, Disk, Dos key, Tree  इत्यादि |
    आंतरिक कमांड (internal command):-
    DIR COMMAND:-यह कमांड्स किसी डायरेक्ट्री में फाइल्स और सब-डायरेक्ट्री कि सूची प्रदर्शित करता है |
    Syntax-                        C:\>Dir
    यदि किसी विशेष डायरेक्ट्री की फाइल कि सूची देखना चाहते है |तो dir  के साथ डायरेक्ट्री का नाम देते है |
    Syntax-                   C:\>Dir<Directory name>
    Ex. –                        C:\> Dir abc
    MD COMMAND (Make Directory):-इस कमांड का उपयोग नयी डायरेक्ट्री बनाने के लिए किये जाता है
    Syntax-                  C:\>MD<Directory name>
    Ex. –                       C:\> MD ABC
    CD COMMAND (Change Directory):- इस कमांड का उपयोग डायरेक्ट्री को बदलने के लिए किया जाता है
    Syntax-                  C:\>CD<DIR name>
    Ex. –                       C:\> CD ABC
    CD.. – इस कमांड का उपयोग डायरेक्ट्री से बाहर जाने लिए किये जाता है
    Syntax-                  C:\> <Dir name><command>
    Ex. –                       C:\> ABC>CD..
    C:\>
    RD COMMAND (Remove Directory):- इस कमांड का उपयोग Disk में पहले से बनी हुई डायरेक्ट्री को remove करने के लिए किया जाता है|
    Syntax-                  C:\>RD<DIR name>
    Ex. –                        C:\> RD ABC
    CLS (Clear Screen Command):-इस command के द्धारा Screen को Clear कर सकते है|
    Syntax-                 C:\>CLS
    Ex.-                        C:\>CLS
    COPY COMMAND: – इस command के द्धारा हम किसी भी file कि duplicate file  बना सकते है|
    Syntax 1-          C:\>Copy<File Name><New Name>
    Syntax 2-         C:\> Copy <Path\File Name><Target Drive>
    Ex.-                   C:\> COPY ABC XYZ.
    Ex.-                   C:\> COPY DELHI D:
    DEL COMMAND (Delete Command):-इस कमांड का उपयोग File को disk से delete करने के लिए किया जाता है
    Syntax-                  C:\>Del<DIR name>
    Ex. –                        C:\>Del ABC.txt
    REN COMMAND (RENAME COMMAND):-इस कमांड का प्रयोग फाइल को रीनेम करने के लिए किया जाता है
    Syntax-                        C:\>REN<Old File Name><New File Name>
    Ex. –                              C:\>REN ABC.txt XYZ.txt
    TYPE COMMAND: – इस command का use हम File के टेक्स्ट  को Screen पर देखने के लिए कर सकते है|
    Syntax-                  C:\>TYPE<DIR name>
    Ex. –                       C:\> RD ABC.txt
    DATE COMMAND: – इस command के द्धारा हम Current date (MM-DD-YY) format में देख सकते है|
    Syntax-                   C:\>date
    Ex. –                        C:\>date
    TIME COMMAND: – इस command के द्धारा हम Current time देख सकते है|
    Syntax-                  C:\>time
    Ex. –                       C:\>time

    VER (VERSION):-इस command के द्धारा हम System में present disk operating system का version देख सकते है|
    Syntax-                 C:\>Ver
    Ex.-                        C:\>Ver
    COPY CON COMMAND: –इस command का use file  को create करने के लिए किया जाता है |
    Saving file : file Ctrl+Z के द्धारा save कि जाती है |
    Syntax-                        C:\>Copy Con<File Name>
    Ex.-                               C:\> Copy Con ABC.txt
    Hello this is first file
                                           ^Z (Ctrl +Z)/F6
    1 file copied
    PATH COMMAND: – यह command Dos को यह बतलाता है कि किसी programs का पता लगाने के लिए इसे कौन सी directory search करना चाहिए |
    Syntax-                  C:\>PATH
    Ex-                          C:\>PATH
    Changing the drive:-किसी भी drive का  नाम change करने के लिए उस drive का name colon के साथ enter किया जाता है
    Syntax-          C:\><Drive name>
    Ex. –               C:\>A:
    EXIT COMMAND:- इस command का use Dos prompt से बाहर आने के लिए किया जाता है |
    Syntax-       C:\>Exit
    Ex-               C:\>Exit

    PROMPT COMMAND:- इस command के द्धारा हम Prompt change कर सकते है|
    Syntax-                  C:\>prompt_name
    Ex. –                       C:\> prompt_paragon
    External command
    External command  वे कमाॅड होते हैं। जिन्हें चलाने के लिये विशेष फाईल की आवश्यकता होती है। उस फाईल का प्रथामिक नाम (primary name)  वही नाम होता है। जो नाम कमाॅड का  होता है। लेकिन द्वितीयक नाम(secondary name)EXE,COM,BAT हो सकता है।
    EXAMPLE :-chkdsk,label,edit,diskcopy ,append
     LABEL Command
     इस कमाॅड की सहायता से drive के label and serial number को देख सकते है। और बदल भी सकते हैं।
    Label की साईज windows xp में 11 कैरेक्टर और windows 7 में 32 कैरेक्टर हो सकती है। और इससे लेवल को delete भी कर सकते हैं।
    Syntax:-    c:\>LABEL <Drive Name>
    Example:- c:\>LABEL A:
    Tree Command
    इस की सहायता से डायरेक्टरी एवं फाईल को Tree format  में देख सकते है। फाईल को देखने के लिये स्विच/F का प्रयोग किया जाता है।
    Syntax:-     c:\>TREE / [Switch] [path]
    Example:-  c:\>TREE /F micro
    CHKDSK Command
    CHKDSK का पूरा नाम Check Disk है इसकी सहायता से सेकेंडरी मेमोरी को चेक किया जाता है
    Syntax:-     c:\> CHKDSK <Drive Name>
    Example:- c:\> CHKDSK D:\
    Append Command
     यह कमाॅड डाटा फाईल को पाथ प्रदान करता है। यह कमाॅड पाथ कमाॅड के समान कार्य करता है।इस कमाॅड की सहायता से तीन प्रमुूख कार्य किये जाते हैं।
    Data file  का पाथ देख सकते हैं।पाथ तोड सकते हैं।पाथ को सेट कर सकते हैं।
    पाथ देखना
    c:\>append
    c:\>Append;
    No Path
    Path set करना
    Syntax: – Append=data file का पता; other data file address
    c:\>Append=c:\micro;d:\mukesh
    DiskCopy Command
    इस कमाॅड का प्रयोग floppy disk की काॅपी करने के लिये किया जाता है। क्येां कि अधिकांष floppy  बारबार प्रयोग करने पर खराब हो जाती हैं। इसलिये एक से अधिक floppy की काॅपी होना जरूरी होता है।
    नोटः- दोनों floppy की साईज एक समान होना चाहिये । जिस फ्लॉपी में कॉपी करना है वह format होना चाहिए कॉपी के बाद diskcomp command run करना चाहिए
    Syntax:-      c:\>Diskcopy <First Drive Name> <Second Drive Name>
    Example:-  c:\>DiskCopy A: A:
    Enter Source Disk in drive A:
    And press any key
    Enter target Disk in Drive A :
    And press any key
    DiskComp Command
    इस कमाॅड का प्रयोग दो floppy disk की आपस में तुलना करने के लिये किया जाता है। इस कमाॅड का प्रयोग diskcopy के बाद किया जाता है। इस से यह चेक किया जाता है कि कोई फाईल काॅपी करते समय छूटी तो नही है। यदि दोनों कि साईज बराबर है तो सही काॅपी हुई, यदि दोनों डिस्कों की साइज़ बरावर नही है तो सही काॅपी
    नही हुई है।
    Syntax:-       c:\>DiskComp<First Drive Name> <Second Drive Name>
    Example :-  c:\>diskcomp A: A:
    SYS Command
    इस कमाॅड का पूरा नाम system है। इस कमाॅड का प्रयोग bootable disk का निर्माण करने के लिये किया जाता है। इससे bootable file disk में काॅपी हो जाती हैं। Process complete होने के बाद system transferred message आता है जो यह दर्शाता है कि डिस्क bootable बन चुकी है। bootable disk से computer को चालू किया जा सकता है।
    Syntax:-      C:\>SYS A:
    Example:-  C:\>SYS A:
    Help Command
    इस कमांड की सहायता से एम.एस.डॉस की कमांड की हेल्प देख सकते है
    Syntax:- c:\>HELP <command Name>
    Or
    c:\>Command Name /?
    Example:- C:\>dir/?
    Print Command
    इस कमाॅड की सहायता से एक या एक से अधिक फाइलो का प्रिंटआउट एक साथ निकाल सकते है। यह कमाॅड डाॅस के वर्जन 2.0 के बाद के वर्जन मे उपलब्ध है
    Syntax:-  Print <file Name>
    Example:- C:\>Print micro.txt
    DOSKEY Command
    यह कमाॅड एक कैमरे की तरह होता है। यह कमाॅड डाॅस के वर्जन 5.0 से प्रारंभ होता है इस कमाॅड के बाद जो कमाॅड रन करते है। वह रिकार्ड होते जाते हैं। और उसे बाद में देखा जा सकता है। और उपयोग कर सकते हैं। रिकार्ड कमाॅड को देखने के लिये F7 का प्रयोग किया जाता है । और command history clear  करने के लियेAlt+F7का प्रयोग करते है। UP And down Arrow की सहायता से कमाॅड को देखा जा सकता है।
    Syntax:-      c:\>DOSKEY
    Example:-  C:\>DOSKEY
    Attrib Command
    इस कमाॅड की सहायता से फाईल और फोल्डर के attribute को देख सकते हैं। और बदल भी सकते हैं।
    फाईल और फोल्डर में चार प्रकार के attribute होते हैं।
    1. Read:- इस attribute से फाईल और डायरेक्टरी को केवल रीड कर सकते हैं।
    2. Hidden:- इस attribute से फाईल और डायरेक्टरी को छिपाया जा सकता हैं।
    3. System: – इस attribute से फाईल और डायरेक्टरी को सिस्टम फाईल और डायरेक्टरी में बदला जा
    सकता हैं।
    4. Archive:- इस attribute से फाईल और डायरेक्टरी मे Archive attributeलगाया जा सकता हैं।
    नोटः- “+” इस से attribute set  कर सकते और “-“इस से attribute को हटाते हैं।
    Syntax: – ATTRIB +/- ATTRIBUTES [PATH\FILE OR DIRECTORY NAME]
    Backup Command
    इस कमाॅड से किसी भी डायरेक्टरी एवं फाईल का बेकप किसी दूसरी डिस्क मे लिया जा सकता है बेकप लेना इसलिये जरूरी होता है।क्योंकि कम्प्यूटर में बनी फाईल कई करणों से खराब भी हो सकती है यदि उस फाईल काबेकप लिया है तो उसे पुनः प्राप्त किया जा सकता है। फाईल को पुनः प्राप्त करने के लिये restore command का प्रयोग करना पडता है।
    Syntax: –   c:\>Backup <source address> < destination disk or address>
    Edit [path\file name or new file name]
    Example: – c:\>backup c:\micro A:\
    Edit Command
    इस कमाॅड से पहले से बनी फाईल मे सुधार कर सकते है।एवं नई फाईल का निर्माण भी कर सकते है।यह डाॅस का editor है। इसमें मीनू सिस्टम होता है। जिससे हम अपने कार्य को और असानी से पूरा कर सकते हैं। इसमें माउस का भी प्रयोग कर सकते हैं। Editor से बाहर निकलने के लिये फाईल मीनू के सब कमाॅड exit का प्रयोग करते हैं।
    Syntax: –    c:\micro>edit student
    Example: – c:\micro>edit student
    Move Command
    इस कमाॅड की सहायता से किसी भी फाईल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर move कर सकते हैं। मूव होने के बाद 1 file moved message आता है।
    Syntax:- move <Source address\File Name > <Destination Address>
    Example:-move d:\ computer e:\
    FORMAT Command
    इस कमाॅड का प्रयोग डिस्क को format करने के लिये किया जाता है। इस कमाॅड को चलाते समय सावधानी रखनी चाहिये । इसके साथ इसके स्विच का भी प्रयोग कर सकते हैं। जिससे अलग अलग तरीके से formatting कर सकते है। इस कमाॅड का प्रयोग तब किया जाता है जब पूरी डिस्क के डाटा को एक साथ हटाना होता है। /Q इस स्विच का प्रयोग quick format करने के लिये किया जाता है।
    Syntax:-    c:\>FORMAT/ [SWITCH] Drive Name:
    Example:- c:\>FORMAT /Q d:
    Warning all data on non – removable disk
    Drive d: will be Lost!
    Proceed with format (Y/N)? _Y
    Volume label (Enter for none)? _
    FDISK Command
    इस कमाॅड से डिस्क के पार्टीशन को delete किया जाता है और नये पार्टीशन को बनाया भी जा सकता है। इस कमाॅड को बहुत सावधानी एवं ध्यान र्पूवक चलाना चाहिये।
    डिस्क में तीन प्रकार के पार्टीशन होते है।
    1. Primary partition
    2. Extend partition
    3. Logical partition
    Partition Delete करना :- पार्टिशन को delete करने के लिये सबसे पहले लाॅजिकल पार्टिशन डिलीट करते हैं। इसके बाद extended partition delete करते हैं। और अंत में primary partition delete करते हैं।
    Logical>Extend Partition>primary Partition
    Partition Create करना :- पार्टिशन को बनाने के लिये सबसे पहले primary partition create करते हैं। इसके बाद extended partition बनाते हैं। और अंत में लाॅजिकल पार्टिशन बनाते हैं।
    Primary>extend>logical
    C:\>Fdsisk
    Yes
    1.Create Partition
    2.Delete Partition
    3.Display Partition
    Choose any
    Sort Command
    इस की सहायता से फाईल के मेटर को काॅलम के आधार पर sort कर सकते हैं। एवं sorted contains को देख सकते एवं नई फाईल में सेव कर सकते हैं।
    Syntax:-  c:\>Sort File Name
    or
    Sort filename>>new file Name
    Example:- c:\>Sort computer


    Computer से जुड़े सभी Full Form

    Computer से जुड़े सभी Full Form Computer Full Form : C =  COMMON O =  OBJECTIVE M =  MACHINE P =  PRACTICALLY U =  USED in T =  TRADE E...